मंगलवार, 1 जुलाई 2014

460. स्मृतियाँ शूल (10 हाइकु) पुस्तक 56, 57

स्मृतियाँ शूल 

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1.
तय हुआ है-
मौसम बदलेगा
बर्फ़ जलेगी।

2.
लेकर चली
चींटियों की क़तार
मीठा पहाड़।

3.
तमाम रात
धकेलती ही रही
यादों की गाड़ी।

4.
आँखें मींचती
सूर्य के गले लगी
धरा जो जागी।

5.
जाने क्या सोचे
यायावर-सा फिरे
बादल जोगी।

6.
डरे होते हैं-
बेघर न हो जाएँ 
मेरे सपने 

7.
हार या जीत 
बेनाम-सी उम्मीद 
ज़मींदोज़ क्यों?

8.
ख़ारिज हुई 
जब भी भेजी अर्ज़ी 
ख़ुदा की मर्ज़ी। 

9.
जश्न मनाता 
सूरज निकलता 
हो कोई ऋतु। 

10.
जब उभरें  
लहुलूहान करें 
स्मृतियाँ शूल। 

- जेन्नी शबनम (5. 6. 2014)
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8 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

हार या जीत
बेनाम-सी उम्मीद
ज़मींदोज़ क्यों !
bahut sundar jenni shabnam ji

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

लघु कलेवर ,बड़ी बात !

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 03-07-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1663 में दिया गया है
आभार

दिगम्बर नासवा ने कहा…

डरे होते हैं -
बेघर न हो जाएँ
मेरे सपने ..
सपने बेघर नहीं होते .. आँखों में पलते हैं ये ... सभी हाइकू लाजवाब ...

आशीष अवस्थी ने कहा…

बहुत ही सुंदर , जेन्नी जी धन्यवाद !
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रश्मि शर्मा ने कहा…

सभी हाइकु बेहद पसंद आए....

Himkar Shyam ने कहा…

बहुत सुंदर और भावपूर्ण हाइकु...बधाई

Onkar ने कहा…

अच्छे हाइकु