शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

338. फूल कुमारी उदास है (पुस्तक - 72)

फूल कुमारी उदास है

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एक था राजा एक थी रानी
उसकी बेटी थी फूल कुमारी
फूल कुमारी जब उदास होती...
पढ़ते सुनते, बरस बीत गए
कहानी में, फूल कुमारी उदास होती है
और फिर उसकी हँसी लौट आती है,
सच की दुनिया में
फूल कुमारी की उदासी
आज भी क़ायम है
कोई नहीं आता जो उसकी हँसी लौटाए,
कहानी की फूल कुमारी को हँसाने के लिए
समस्त प्रदेश तत्पर है
फूल कुमारी की हँसी में देश की हँसी शामिल है
फूल कुमारी की उदासी से
पेड़-पौधे भी उदास हो जाते हैं
जीव-जंतु भी और समस्त प्रजा भी,
वक़्त ने करवट ली
दुनिया बदल गई
हँसाने वाले रोबोट आ गए
पर एक वो मसख़रा न आया
जो उस फूलकुमारी की तरह हँसा जाए,
कहानी वाला मसख़रा
क्यों जन्म नहीं लेता?
आख़िर कब तक फूल कुमारी उदास रहेगी
कब तक राजा रानी
अपनी फूलकुमारी के लिए उदास रहेंगे,
अब की फूलकुमारी, उदास होती है तो
कोई और दुखी नहीं होता
न कोई हँसाने की चेष्टा करता है,
सच है, कहानी सिर्फ़ पढ़ने के लिए होती है
जीवन में नहीं उतरती
कहानी कहानी है
ज़िन्दगी ज़िन्दगी!
कहानी की फूलकुमारी
ख़ूबसूरत अल्फ़ाज़ से गढ़ी गई थी
जिसके जीवन की घटनाएँ 
मनमाफ़िक मोड़ लेती हैं,
साँस लेती हाड़ मांस की फूलकुमारी
जिसके लिए पूर्व निर्धारित मानदंड हैं
जिसके वश में न हँसना है न उदास होना
न उम्मीद रखना
उसकी उदासी की परवाह कोई नहीं करता,
फूल कुमारी उदास थी
फूल कुमारी उदास है!

- जेन्नी शबनम (2. 4. 2012)
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