सोमवार, 29 अगस्त 2011

277. शेष न हो (क्षणिका)

शेष न हो

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सवाल भी ख़त्म और जवाब भी
शायद ऐसे ही ख़त्म होते हैं रिश्ते
जब सामने कोई हो
और कहने को कुछ भी शेष न हो। 

- जेन्नी शबनम (27. 8. 2011)
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